12th notes in hindi
यंग का द्विक रेखा छिद्र प्रयोग , डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट (young’s Double-slit experiment in hindi)
चित्रानुसार एक S एकवर्णी प्रकाश का स्रोत से जिसे एक छोटे से छिद्र द्वारा अन्य दो छोटे छिद्रों पर गिराया गया है जिन्हें चित्र ने A तथा B द्वारा दर्शाया गया है , दोनों छिद्र अर्थात A व B एक दुसरे के पास पास स्थित है। दोनों छिद्रों की चौड़ाई लगभग 0.03 mm रखी गयी है तथा दोनों छिद्रों के मध्य की दूरी 0.3 mm है। दोनों छिद्र प्रकाश के स्रोत से समान दूरी पर स्थित है तथा स्रोत s से चलने वाले प्रकाश तरंगें समान कला में छिद्र A व B पर पहुंचती है इसलिए दोनों छिद्र उच्च कला सम्बन्ध स्रोतों की तरह व्यवहार करेंगे। हमने हाइगेन्स का तरंग सिद्धान्त पढ़ा है जिसमे उन्होंने कहा था कि जिसमें हाइगेंस ने बताया कि तरंगाग्र का प्रत्येक बिंदु नए प्रकाश स्रोत की तरह कार्य करता है। इसलिए यहाँ बिंदु A व B दोनों एक प्रकाश स्रोत की तरह कार्य करेंगे और इसके आगे दाई और दुसरे पर अध्यारोपित होंगे।
जब इन बिन्दुओं से दाई ओर एक स्क्रीन XY रखी जाती है तो इस स्क्रीन पर अध्यारोपण के कारण दीप्त और अदिप्त फ्रिंज एकांतर में प्राप्त होते है। इन फ्रिजों को व्यतिकरण फ्रिन्ज कहा जाता है। इस स्क्रीन XY पर बिंदु P पर दोनों बिन्दुओं A व B से चलने वाली तरंगे समान दूरी तक चलती है और इस बिंदु पर समान कला में मिलती है जिससे यहाँ P बिन्दु पर दीप्त बिन्दु प्राप्त होता है इस बिंदु P को केन्द्रीय दीप्त फ्रिन्ज कहते है। जब दोनों छिद्र A व B में से किसी एक को बंद कर दिया जाता है तो हम देखते है कि स्क्रीन पर दिखने वाले फ्रिंज गायब हो जाते है अत: हम कह सकते है कि ये फ्रिन्ज दोनों तरंगों के अध्यारोपण के कारण बनते है। माना दोनों छिद्रों A तथा B के मध्य की दूरी d है तथा इन बिन्दुओं से स्क्रीन के मध्य की दूरी D है जैसा चित्र में दर्शाया गया है तथा छिद्रों से निकलने वाले प्रकाश की तरंग दैर्ध्य λ है।
A तथा B बिंदु से चलने वाला प्रकाश तरंग स्क्रीन P पर मिलता है यहाँ ये समान कला में भी हो सकते है और विपरीत कला में भी , यह निर्भर करता है उनके द्वारा तय दूरी पर , इस P बिंदु की केंद्र फ्रिंज से दूरी x है। तो व्यतिकरण तरंगों के बीच का पथांतर δ = xd/D यहाँ θ को छोटा माना गया है।
यहाँ n = 1,2,3, ……… यह अदीप्त फ्रिंज का आर्डर है।
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Home > अद्भुत वैज्ञानिक प्रयोग | Young’s Double Slit Experiment
अद्भुत वैज्ञानिक प्रयोग | Young’s Double Slit Experiment
क्या प्रकाश भगवान के अस्तित्व का सबूत है | Double Slit Experiment
फिज़िक्स का डबल स्लिट प्रयोग (Double Slit Experiment) पहली बार 18th century में किया गया। तब से लेकर आज तक ये प्रयोग अनगिनत बार दोहराया जा चुका है लेकिन हर बार इसके परिणाम Scientists के लिए एक गुत्थी है क्योंकि ये God’s Existence को साबित करता है।
जहाँ एक ओर आस्तिक और आध्यात्मिक लोग इसे भगवान का अस्तित्व और उनकी परमसत्ता मानते हैं, वहीँ दूसरी ओर साइंटिस्ट इसे वैज्ञानिक रूप से समझने की कोशिश में दशकों से लगे हुए हैं लेकिन कोई जवाब नहीं।
इस प्रयोग के सामने कई वैज्ञानिक थ्योरी फेल हो जाती हैं और इसने Quantum Mechanics को भी हिलाकर रखा हुआ है। आइये जाने आधुनिक विज्ञान के अस्तित्व को चुनौती देनेवाला Double Slit Experiment क्या है ।
Double Slit Experiment क्या है | Double Slits Experiment Explained
विज्ञान विषय के सभी विद्यार्थियों ने Physics का Young’s Double Slit Experiment जरुर किया गया होगा । यंग डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट में एक गत्ते या धातु की प्लेट में दो सामानांतर पतले स्लिट (चीरा) बने होते थे। इस स्लिट के एक तरफ Light source होता था और दूसरी तरफ एक पर्दा या बोर्ड होता था । स्लिट से प्रकाश के गुज़रने से पर्दे पर पैटर्न बनते हैं। इन पैटर्न के विश्लेषण से प्रकाश सम्बन्धी नियमों का अध्ययन किया जाता है।
यह प्रयोग पहली बार 18वीं सदी के वैज्ञानिक Thomas Young ने किया था इसलिए यह प्रयोग Thomas Young : Double Slit Experiment कहा जाता है.
डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट का निष्कर्ष रहस्यमयी क्यों है ? | Thomas Young Theory
प्रकाश हमारे जीवन का सबसे महत्वपूर्ण अंग है लेकिन विज्ञान प्रकाश के बारे में ठीक-ठीक कुछ भी जानता.
- प्रकाश क्या है ?
- यह पार्टिकल (कण) है या वेव (तरंग) ?
- यह कैसे गति करता है ?
क्या प्रकृति अपना यह राज हमसे छुपाकर रखना चाहती है ? शायद हाँ ! क्योंकि इस प्रयोग के रिजल्ट में यही सामने आया ।
– इस प्रयोग में 2 स्लिट से प्रकाश के गुजरने पर पर्दे पर 2 स्लिट की परछाई नहीं बल्कि कई सारी गहरी-हल्की परछाइयाँ बनती हैं, जिससे लगता है कि प्रकाश एक तरंग है और कण आपस में टकरा कर ढेर सारी परछाइयाँ रहे हैं ।
वैज्ञानिकों ने सोचा कि अगर एक-एक इलेक्ट्रॉन छोड़ा जाये तो वो आपस में टकरायेंगे नहीं और केवल 2 स्लिट की परछाई ही बनेगी ।
– पर ऐसा नहीं हुआ और इस बार भी अलग-अलग कई परछाइयाँ बनी. ऐसा नहीं होना चाहिए था क्योंकि कण एक सीधी रेखा में चलते हैं. एक-एक इलेक्ट्रान बारी-बारी से छोड़ा जा रहा था, इसलिए उनके आपस में टकरा के Interference Pattern (व्यतिकरण) बनाने की भी सम्भावना नहीं थी. तो फिर आखिर क्या हो रहा था ??
वैज्ञानिकों ने जब इसका कारण जानने के लिए खास तरह के माइक्रोस्कोपिक कैमरे लगाये तो परिणाम देख के वो दंग रह गये.
– अब पर्दे पर दोनों स्लिट की केवल 2 परछाइयाँ बन रही थी मतलब प्रकाश पार्टिकल की तरह व्यव्हार करने लगा। पर क्यों ?? क्या एटम या अणु को यह मालूम हो गया कि उनपर नजर रखी जा रही है ?
यंग डबल स्लिट एक्सपेरिमेंट दुनिया भर में कई बार अलग-अलग जगह दोहराया जा चुका है पर परिणाम जस के तस हैं। अगर आप के पास इसका जवाब है तो नोबल पुरस्कार आपका इंतज़ार कर रहा है ।
हालाँकि इसे Quantum Mechanics के जटिल नियमों से सिद्ध करने के कोशिश की गयी मगर प्रसिद्ध भौतिकशास्त्री Richard Feynman ने भी कहा – I think I can safely say that nobody understands quantum mechanics (मै समझता हूँ कि ये बात मैं बड़े आराम से कह सकता हूँ कि क्वांटम मैकेनिक्स की समझ किसी को भी नहीं है) ।
इस प्रयोग को अच्छे से समझने के लिए आप यह यूट्यूब विडियो देखिये –
प्रकाश को न समझ पाने की गुत्थी विज्ञान पर कई बड़े सवाल खड़े करती है, जैसे कि –
- क्या हमारे Science के आधारभूत सिद्धांत ही गलत हैं ?
- क्या कोई परमसत्ता है जोकि अपने गूढ़ रहस्यों को छुपाकर रखना चाहती है ?.
- क्या हर कण पर परमात्मा का नियंत्रण है ?
शायद भविष्य में कभी इसका कारण ठीक-ठीक पता चला भी जाए पर फिलहाल Double Slit Experiment का परिणाम भगवान का अस्तित्व का सबूत समझना गलत नहीं होगा। यह जानकारी लेख दोस्तों के लिए व्हाट्सप्प, फ़ेसबुक पर शेयर जरूर करें जिससे कई लोग इसे पढ़ सकें।
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3 thoughts on “अद्भुत वैज्ञानिक प्रयोग | Young’s Double Slit Experiment”
Bhai sara universe tarange hi tanage h lekin jb ham isko aakhose dekhte h to har cheej akar le leti h
Ho sakta hai khud hi Atom,electron ,protone ,netrone wave hai to
मैं वह नोबेल लेना चाहता हूँ।
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In a Youngs double-slit experiment, the slits are separated by 0.28 mm and the screen is placed 1.4 m away. The distance between the central bright fringe and the fourth bright fringe is measured to be 1.2 cm. Determine the wavelength of light used in the experiment.
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